दिव्य ज्ञान का भंडार गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र की महिमा । दिव्य ज्ञान का भंडार गायत्री मंत्र

विविध गायत्री मंत्र की महिमा

गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी कहा गया है । वेदों से लेकर धर्म शास्त्रों तक समस्त दिव्य ज्ञान गायत्री के वीजाक्षरों का ही विस्तार है । इससे अधिक पवित्र करने वाला और कोई मंत्र पृथ्वी पर है ही नहीं । इस मंत्र को अन्य देव शक्तियों के साथ जपा जाए तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है ।

मंत्र ज्ञान

गायत्री मंत्र हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण मंत्र है जिसकी शक्ति ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है । यह यजुर्वेद के मंत्र ओम भूर्भुव: स्व: और ऋग्वेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है । ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है । शास्त्रों में गायत्री मंत्र को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अन्य देव शक्तियों के साथ संयुक्त किया गया है । इसके लिए विशेष रूप से किसी नियम की आवश्यकता नहीं होती है । इस मंत्र को किसी भी समय जप कर सकते हैं । अगर इस मंत्र को नियम से जपा जाए तो शीघ्र ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है तो आइए जाने क्या है इस मंत्र के बारे में ।

श्री गणेश गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि । तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥

-इस मंत्र को जप करने से जटिल कार्यो में सरलता आती है तथा सभी प्रकार के विघ्नों का निवारण होता है ।

श्री हनुमान गायत्री मंत्र

ॐ अंजनी जाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि । तन्नो हनुमान प्रचोदयात् ॥

-इसके नियमित जप से कर्तव्य और कर्म की भावना का उदय होता है और हनुमान जी की कृपा से उसे पूर्ण करने की शक्ति मिलती है किसी भी कार्य में बाधा नहीं आती ।

श्री सूर्य गायत्री मंत्र

ॐ भास्कराय: विद्महे महातेजाय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ॥

-इस मंत्र को शारीरिक रोग और विकार को दूर करने के लिए नियमित रूप से सुबह यानी सूर्योदय के बाद, पूर्व दिशा में मुख करके जपें । कम से कम 108 बार जप करें । इससे शारीरिक रोग में लाभ प्राप्त होता है ।

श्री चंद्र गायत्री मंत्र

ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि । तन्नो चंद्र: प्रचोदयात् ॥

-इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार जप करने से मानसिक क्लेश, चिंता, अवसाद और निराशा से मुक्ति मिलती है ।

श्री वरुण गायत्री मंत्र

ॐ जलबिंबाय विद्महे नील पुष्पाय धीमहि । तन्नो अम्बु: प्रचोदयात् ॥

-अगर पति-पत्नी के बीच क्लेश होता हो और हमेशा अनबन रहती हो तो इस मंत्र को नियमित रूप से जपना चाहिए । कुछ ही दिनों के जप के पश्चात क्लेश दूर हो जाता है ।

गायत्री उपासना कभी भी किसी भी स्थिति में की जा सकती है । हर स्थिति में यह लाभदायी है । तीन माला गायत्री मंत्र का जप आवश्यक माना गया है । शौच-स्नान से निवृत होकर नियत स्थान, नियत समय पर, सुख आसन में बैठकर नित्य गायत्री उपासना की जानी चाहिए गायत्री उपासना करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।

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